विश्वामित्र तथा परशुरामजी का संबंध – दुर्लभ पुराण कथा
हम सबने भगवान परशुराम और महर्षि विश्वामित्र के बारे में बहुत सुना है।
परशुराम को लोग विष्णु का छठा अवतार मानते हैं और क्षत्रियों के संहारक के रूप में जानते हैं। वहीं विश्वामित्र को ऋषियों में श्रेष्ठ और मंत्र-द्रष्टा माना जाता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये दोनों सिर्फ ऋषि और अवतार ही नहीं, बल्कि आपस में नाना-नाती भी थे?
हाँ, यह सच है! इतना ही नहीं – बाल्यकाल में परशुराम के पहले गुरु भी उनके नाना विश्वामित्र ही बने।
सोचिए, एक ही व्यक्ति का रिश्ता नाना भी हो और गुरु भी! यही इस कथा को और भी खास बना देता है।
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