नीम करौली बाबा: कौन थे और क्यों हैं आज भी मशहूर?
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AI GENRATED | Maharaj ji giving blessings to devotees at Kainchi Dham. |
भारत हमेशा से ऋषि-मुनियों और संतों की भूमि रही है। इसी भूमि से ऐसे महात्मा निकलते रहे जिन्होंने अध्यात्म और भक्ति का प्रकाश पूरी दुनिया में फैलाया।
नीम करौली बाबा, जिन्हें लोग प्यार से महाराज जी कहते हैं, ऐसे ही एक महान संत थे। उनका जीवन रहस्यमय, चमत्कारिक और भक्तों के लिए शांति देने वाला रहा।
नीम करौली बाबा का प्रारंभिक जीवन
नीम करौली बाबा का जन्म 1900 के आस-पास, उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गाँव में हुआ। उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ और पिता ने उनका नाम रखा लक्ष्मी नारायण शर्मा।
बचपन से ही उनका झुकाव अध्यात्म की ओर था। सिर्फ 11 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़कर साधना और तपस्या का मार्ग चुन लिया।
उनकी साधना इतनी प्रभावशाली थी कि लोग उन्हें अलग-अलग नामों से बुलाने लगे – लक्ष्मण दास बाबा, टिकोनिया बाबा, हंडिया बाबा, और अंततः नीम करौली बाबा।
नीम करौली बाबा नाम कैसे पड़ा?
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The famous train incident that gave Baba the name Neem Karoli Baba. |
क्या आप जानते हैं कि बाबा का नाम एक ट्रेन की घटना से जुड़ा है?
एक बार बाबा बिना टिकट ट्रेन में बैठे थे। टिकट चेकर ने उन्हें उतार दिया। लेकिन हैरानी की बात यह थी कि ट्रेन आगे बढ़ी ही नहीं।
कई प्रयासों के बाद भी जब ट्रेन नहीं चली, अधिकारियों ने बाबा से माफी मांगी। बाबा ने दो शर्तें रखीं:
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आगे से संत-महात्माओं का अपमान न हो।
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उस स्थान पर एक स्टेशन बनाया जाए।
जैसे ही बाबा ट्रेन में बैठे, ट्रेन चली। यह घटना नीम करौली गाँव के पास हुई, और तब से लोग उन्हें नीम करौली बाबा कहने लगे।
नीम करौली बाबा के आश्रम
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Devotees visiting the divine Kainchi Dham Ashram of Neem Karoli Baba. |
बाबा ने भारत में 100 से अधिक मंदिर और आश्रम स्थापित किए।
लेकिन सबसे प्रसिद्ध हैं:
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कैंची धाम आश्रम (नैनीताल, उत्तराखंड)
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वृंदावन आश्रम (जहाँ उन्होंने अंतिम समय बिताया)
लखनऊ, हिमाचल और गुजरात में भी उनके मंदिर हैं।
कैंची धाम आश्रम आज विश्वभर में बाबा की पहचान का केंद्र है। यहाँ हर साल लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
बाबा और हनुमान जी की भक्ति
बाबा को हनुमान जी से गहरा लगाव था। उनका मानना था कि भक्ति और सेवा ही मोक्ष का मार्ग हैं।
वे अक्सर कंबल ओढ़कर बैठते और भक्तों को बिना कुछ पूछे आशीर्वाद देते थे।
नीम करौली बाबा के चमत्कार
बाबा के जीवन में कई चमत्कार हुए, जिन पर आज भी लोग विश्वास करते हैं।
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LSD और बाबा:
अमेरिकी वैज्ञानिक रिचर्ड एलपर्ट (बाद में रामदास) नशे के आदी थे। जब वे बाबा से मिले, बाबा ने बिना बताए उनकी माता की मृत्यु का जिक्र किया। रिचर्ड चकित रह गए। बाबा ने यह दिखाया कि जीवन का सार नशे में नहीं, बल्कि अध्यात्म में है। -
भविष्य बताना:
कहा जाता है कि बाबा ने पहले ही बता दिया था कि चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री बनेंगे, और यह सच भी हुआ। -
भक्तों की मनोकामना पूरी करना:
कई बार भक्तों ने बताया कि बाबा उनकी बीमारी और समस्याओं को बिना कहे ही दूर कर देते थे।
नीम करौली बाबा और विदेशी शिष्य
बाबा का प्रभाव सिर्फ भारत तक सीमित नहीं था। उनके भक्तों में शामिल हैं:
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स्टीव जॉब्स (Apple) – बाबा का आशीर्वाद पाने भारत आए।
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मार्क जुकरबर्ग (Facebook) – कैंची धाम जाकर प्रेरणा पाई।
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जूलिया रॉबर्ट्स (Hollywood) – बाबा से प्रेरित होकर हिंदू धर्म अपनाया।
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लैरी ब्रिलियंट और पत्नी गिरीजा – बाबा के घनिष्ठ शिष्य।
बाबा का देहावसान और समाधि
नीम करौली बाबा ने 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में देह त्यागी।
वहीं उनकी समाधि बनी और आज भी भक्तों का ताँता लगा रहता है।
नीम करौली बाबा का संदेश
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सच्चे मन से सेवा करो।
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ईश्वर हर जगह है।
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भक्ति और प्रेम ही मोक्ष का मार्ग हैं।
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दूसरों की मदद करना ही सच्ची पूजा है।
निष्कर्ष
नीम करौली बाबा सिर्फ संत नहीं थे। वे एक अद्भुत शक्ति थे जिन्होंने भारत और विदेशों के लाखों लोगों को आध्यात्म की ओर मोड़ा।
चाहे हॉलीवुड अभिनेत्री हों या सिलिकॉन वैली के बड़े उद्योगपति – सभी उनके चरणों में शांति पाते हैं।
आज भी कैंची धाम आश्रम में भक्त कहते हैं कि बाबा उनकी इच्छाएँ पूरी करते हैं।
यही कारण है कि नीम करौली बाबा की महिमा भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में गूँजती है।
💡 सोचिए: बाबा ने हमें सिखाया कि भक्ति और सेवा में ही असली शक्ति है। और यही जीवन को सच्चा अर्थ देती है।
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